रेस्क्यू किए गए बच्चों की उम्र 14 वर्ष से 18 वर्ष बताई जा रही है. बच्चों को बाल श्रमिक बनाने वाले संस्थानों के ऊपर 20 हज़ार रुपए से लेकर 50 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया है और आरोपी को 2 साल तक की कैद भी हो सकती है.
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